बारिश को लेकर यह नाराजी ठीक नही? जिन्दगी में उमंगों के रंग भरने वाली स्फूर्त बारिश में कभी भीगिये और महसूस कीजिये पानी को उतरता हुआ अपने अंदर, हो सकता है आप मेरी बात में यकीं करलें।
જિંદગી છે શબ્દો.
મારા શબ્દો કાગળ પર આવતા વર્ષો લાગ્યા.
રહી ન શક્યા હ્રદયમાં,ઉભરી આવ્યા.
શબ્દોને સથવારે જિદગી જશે.
શબ્દો હવે બોલવાના.
મારા અંતર આત્માનો અવાજ શબ્દો.
સપના
सपना जी,
ReplyDeleteबारिश को लेकर यह नाराजी ठीक नही? जिन्दगी में उमंगों के रंग भरने वाली स्फूर्त बारिश में कभी भीगिये और महसूस कीजिये पानी को उतरता हुआ अपने अंदर, हो सकता है आप मेरी बात में यकीं करलें।
मुकेश कुमार तिवारी
acha likha hai ...
ReplyDeleteMere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
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