Wednesday, April 29, 2009
Tuesday, April 28, 2009
ताज महल है
बावरा मन मेरा पागल है,
भटकता आवारा बादल है।
प्रेमका जवाब न मिला लब्जोमे,
कया इतना पेचीदा सवाल है?
फिरसे अफसाना लिखेंगे अपना,
जो बीत गया वोह कल है।
तेरी सांसो की खुश्बुसे महेकता,
मेरी जिन्दगीका हर पल है।
इंट पथरका सही अपना घरोंदा,
अपना तो यह ताज महल है।
संभलके कदम रखना इस पर,
सपनाका दिल कबसे घायल है।
सपना मर्चंट
Sunday, April 26, 2009
मस्त मस्त
खुदाने बनाई यह दुनिया मस्त मस्त,
आसमां तेरा, ज़मीन तेरी मस्त मस्त।
तुज़े सोंचा करेंगे, तुजे चाहा करेंगे,
जिना है हमको बनके मस्त मस्त।
जन्न्तसे कैसे मुख्तलिफ होंगी यह,
दुनियाको जन्नत बनायेंगे मस्त मस्त ।
कोई कैसे बुजायेगा शमा-ऐ- रूहको,
उजाला करेंगे जलके भी मस्त मस्त।
दुआका हक दिया तुने मखलुकको,
दुआके लिए हाथ उठाएंगे मस्त मस्त ।
क्यों न तवक्को करुं मै तुज पर,
तुही ज़िन्दगी,तुही दुनिया है मस्त मस्त।
सपना खुश होजा अपने सवाल पर,
आयेगा उनका जवाब मस्त मस्त।
सपना मर्चंट
Saturday, April 25, 2009
कमी
कमी
तूजसे मीलकर और भी यकता हुई ,
जिंदगीकी जो कमी थी अब पता हुई।
बसरनेको तो बसर ही जायेगी जिंदगी,
दिन-रातकी गिनती अब यकसा हुई।
कतरा कतरा मीलाके दरीया रवां हुआ,
ऐ रंज अब तो रुक जा, काफ़ी बरखा हुई।
जिसे समजते थे तुम छोटीसी बात ,
मेरे लिए जाने क्यो वोह दो जहां हुई।
ऐ मेरे ख़ुदा तू ख़फा न होना मुजसे ,
तुजसे पहले उनकी याद बारहा हुई।
दिलके दामनपे हज़ारो पैबंद लगे है,
उसे बचानेकी तरकिबे जसता हुई।
मौतकी दुआ करना छोड़ दिया हमने,
जूजू दुआ की उमर और इजाफ़ा हुई।
सपना छोड़ दुनियाके रंजोगमको,
तेरे एक इशारेपे फीर जिंदा हुई।
सपना
Friday, April 24, 2009
जन्न्तकी सैर करके आई मैं
मेरा मेहताब ,मेरा आफताब छोडके आई हुं मैं ,
अब तारीकी है जीवनमे, रोशनी छोडके आई हुं मैं ।
अब उगलले जीतना ज़हर है तुजमे ऐ ज़माने ,
उनके आबे -हयात शिरी होठोको चुमके आई हुं मैं ।
कुछ भी न रहा याद मुझे महोबतके सीवा,
उनके दिलसे मेरा दिल जोडके आई हुं मैं
अब नही छुएगे मुझे ताने तीर और खंज़र ,
तेरी महोबतका बकतर ओढ्के आई हुं मैं ।
दिलकी बातोपे तवज्जो दी हमने ऐ, खुदा,
अब जहेनको अनसुना करके आई हुं मैं
तुजे पता नही शायद तेरे छुनेसे जी उठी हुं मैं,
एक साथ कई जिन्दिगिया जी आई हुं मैं.
वोह समंदरका किनारा ,वोह तेरे हाथोमे मेरा हाथ,
मानो या ना मानो ज़न्नत की सैर करके आई हु मैं .
कभी तेरी यादमे हँसना,कभी तेरी यादमे रोना,
लगता है खुदको दीवाना करके आई हुं मैं
अब नही ये सुनहरे सपने मेरे तन्हा,
तेरी आँखोमे एक सपना छोडके आई हुं मैं .
सपना
,
Thursday, April 23, 2009
याद
ऐ दिल ज़रा चैन तो पाले,
कितना तडपेगा उनकी यादमे ?
ऐ दिल ज़रा सांस तो लेले,
कितना सिसकेगा उनकी यादमे?
तन्हाईका सफर ख़तम नही होता,
गमका यह मोसम ख़तम नही होता,
प्यारने तो दामन छोड़ दिया कबका,
नफ़रतका यह आलम ख़तम नही होता।
खुदा करे मेरी जुदाईका असर हो तुम पर,
खुदा करे तू भी मिलनेको तरसे ,
खुदा करे तेरा दिल भी बेकरार हो,
खुदा करे तेरी आँखे भी बरसे ।
ऐ दिल ज़रा चैन तो पाले,
कितना तडपेगा उनकी यादमे ?
ऐ दिल ज़रा सांस तो लेले,
कितना सिसकेगा उनकी यादमे?
तन्हाईका सफर ख़तम नही होता,
गमका यह मोसम ख़तम नही होता,
प्यारने तो दामन छोड़ दिया कबका,
नफ़रतका यह आलम ख़तम नही होता।
खुदा करे मेरी जुदाईका असर हो तुम पर,
खुदा करे तू भी मिलनेको तरसे ,
खुदा करे तेरा दिल भी बेकरार हो,
खुदा करे तेरी आँखे भी बरसे ।
Sunday, April 5, 2009
आँखे
आँखे
सिनेके पार उतर जाती है वोह आँखे,
जीने नही देती है वोह आँखे।
कितने फासले है तेरे मेरे बिच,
फिरभी देखती रेहती है वोह आँखे।
चुपके चुपके बाते करती है,
जाने क्यों मुस्कुराती है वोह आँखे,
कर लुंगी इन ह्थेलियोसे बंध,
क्यों परेशां करती है वोह आँखे,
तेरी जुदाइमे रोती रेहती है यह आँखे,
क्या मेरी जुदाईमें भीगती है तेरी आँखे?
अब मिलूंगी तो कुछ न बोलूंगी में,
देखती हु क्या क्या बाते करती है वोह आँखे।
महोबत छलकाती है, प्यार जताती है,
कितने राज़ खोलती है वोह आँखे ।
ख़ुद तो कोई ख्वाब नही देखती,
"सपनाको " सपने दिखाती है वोह आँखे।
सपना
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