skip to main |
skip to sidebar
कमी
कमी
तूजसे मीलकर और भी यकता हुई ,
जिंदगीकी जो कमी थी अब पता हुई।
बसरनेको तो बसर ही जायेगी जिंदगी,
दिन-रातकी गिनती अब यकसा हुई।
कतरा कतरा मीलाके दरीया रवां हुआ,
ऐ रंज अब तो रुक जा, काफ़ी बरखा हुई।
जिसे समजते थे तुम छोटीसी बात ,
मेरे लिए जाने क्यो वोह दो जहां हुई।
ऐ मेरे ख़ुदा तू ख़फा न होना मुजसे ,
तुजसे पहले उनकी याद बारहा हुई।
दिलके दामनपे हज़ारो पैबंद लगे है,
उसे बचानेकी तरकिबे जसता हुई।
मौतकी दुआ करना छोड़ दिया हमने,
जूजू दुआ की उमर और इजाफ़ा हुई।
सपना छोड़ दुनियाके रंजोगमको,
तेरे एक इशारेपे फीर जिंदा हुई।
सपना
I am little impared in heavy Urdu creations. Cannot say if I liked it or not.
ReplyDelete- Chirag
Thanks for reading.You can ask me whatever you don't understand. I will be happy to explain to you.
ReplyDeletesapana
Here's the list:
ReplyDeleteयकता
यकसा
रवां
बारहा
जसता
जूजू
इजाफ़ा
रंजोगम
Yaksa= ek jevi
ReplyDeleteyakta=ekalvai
rva= bani gayo
barha=aavi gai
jasta=ochi or kam
ju ju =jem jem
izafa= lambi
ramjogam= sukh dukh
God, I cannot remember these words! I think, I need to use dictionary while reading Urdu poems.
ReplyDeleteDo you live in Turkey?