Saturday, April 25, 2009

कमी




कमी
तूजसे मीलकर और भी यकता हुई ,
जिंदगीकी जो कमी थी अब पता हुई।
बसरनेको तो बसर ही जायेगी जिंदगी,
दिन-रातकी गिनती अब यकसा हुई।
कतरा कतरा मीलाके दरीया रवां हुआ,
ऐ रंज अब तो रुक जा, काफ़ी बरखा हुई।
जिसे समजते थे तुम छोटीसी बात ,
मेरे लिए जाने क्यो वोह दो जहां हुई।
ऐ मेरे ख़ुदा तू ख़फा न होना मुजसे ,
तुजसे पहले उनकी याद बारहा हुई।
दिलके दामनपे हज़ारो पैबंद लगे है,
उसे बचानेकी तरकिबे जसता हुई।
मौतकी दुआ करना छोड़ दिया हमने,
जूजू दुआ की उमर और इजाफ़ा हुई।
सपना छोड़ दुनियाके रंजोगमको,
तेरे एक इशारेपे फीर जिंदा हुई।
सपना

5 comments:

  1. I am little impared in heavy Urdu creations. Cannot say if I liked it or not.
    - Chirag

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  2. Thanks for reading.You can ask me whatever you don't understand. I will be happy to explain to you.
    sapana

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  3. Here's the list:

    यकता
    यकसा
    रवां
    बारहा
    जसता
    जूजू
    इजाफ़ा
    रंजोगम

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  4. Yaksa= ek jevi
    yakta=ekalvai
    rva= bani gayo
    barha=aavi gai
    jasta=ochi or kam
    ju ju =jem jem
    izafa= lambi
    ramjogam= sukh dukh

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  5. God, I cannot remember these words! I think, I need to use dictionary while reading Urdu poems.

    Do you live in Turkey?

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