Tuesday, April 28, 2009



ताज महल है
बावरा मन मेरा पागल है,
भटकता आवारा बादल है।
प्रेमका जवाब न मिला लब्जोमे,
कया इतना पेचीदा सवाल है?
फिरसे अफसाना लिखेंगे अपना,
जो बीत गया वोह कल है।
तेरी सांसो की खुश्बुसे महेकता,
मेरी जिन्दगीका हर पल है।
इंट पथरका सही अपना घरोंदा,
अपना तो यह ताज महल है।
संभलके कदम रखना इस पर,
सपनाका दिल कबसे घायल है।

सपना मर्चंट

No comments:

Post a Comment